ईश गिरीश नरेश परेश –
महेश बिलेशय भूषण भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शंकर –
शरणं मे तव चरणयुगम् ।।
उमया दिव्य सुमंग्ळं विग्रह –
याळिंगित वामांग विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शंकर –
शरणं मे तव चरणयुगम् ।।
ऊरी कुरु मामज्ञमनाथ –
दूरी कुरूमे दुरितं भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शंकर –
शरणं मे तव चरणयुगम् ।।
ऋषिवर मानस हंस चराचर –
जनन स्थिति लय कारण भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शंकर –
शरणं मे तव चरणयुगम् ।।
अन्तःकरण विशुद्विं भक्तिं –
च त्वयि सतीं प्रदेहि विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शंकर –
शरणं मे तव चरणयुगम् ।।
करूणा वरुणालय मयिदास –
उदासस्तवोचितो न हि भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शंकर –
शरणं मे तव चरणयुगम् ।।
जय कैलास निवास प्रमथ –
गणाधीश भू सुरार्चित भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शंकर –
शरणं मे तव चरणयुगम् ।।
झनुतक झंकिणु झनुतत्किट तक –
शब्दैर्नटसि महानट भी ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शंकर –
शरणं मे तव चरणयुगम् ।।
धर्म स्थापन दक्ष त्रक्ष गुरो –
दक्ष यज्ञशिक्षक भो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शंकर –
शरणं मे तव चरणयुगम् ।।
बलमारोग्यम चायुस्त्वद्गुण –
रूचितां चिरं प्रदेहि विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शंकर –
शरणं मे तव चरणयुगम् ।।
भगवन् भर्ग भयापह भूत-पते
भूतिभूषिताड़ विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शंकर –
शरणं मे तव चरणयुगम् ।।
शर्व देव सर्वोत्तम सर्वद –
दुर्वृत्त गर्वहरण विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शंकर –
शरणं मे तव चरणयुगम् ।।
षड् रिपु षडूर्मि षड् विकार हर –
सन्मुख षण्मुख जनक विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शंकर –
शरणं मे तव चरणयुगम् ।।
हाऽहाऽहूऽहू मुख सुरगायक –
गीता पदान पद्य विभो ।
साम्ब सदाशिव शम्भो शंकर –
शरणं मे तव चरणयुगम् ।।
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