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Tuesday, February 21, 2012

शताङ्गयुर्मन्त्रः


ॐ ह्रीं श्रीं ह्रीं ह्रों ह्रैं ह्रः हन हन दह दह पच पच गृहाण गृहाण मारय मारय मर्दय मर्दय महा महा
भैरव भैरवरूपेण धूनय धूनय कम्पय कम्पय विघ्नय विघ्नय विश्वेश्वर क्षोभय क्षोभय कटु कटु मोहय
हुं फट् स्वाहा ।
इति मंत्रेण समाभीष्टो भवति ।।
इति श्री मार्कण्डेयपुराणे मार्कण्डेयकृत महामृत्युञ्जस्तोत्रं सम्पूर्णम् ।।

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