Pages

Thursday, September 11, 2008

अगर काम पड़े तो याद करना,

मुझे तो आदत है आपको याद करने की,

अगर हिचकी आए तो माफ़ करना.......

ये दुनिया वाले भी बड़े अजीब होते

हैकभी दूर तो कभी क़रीब होते

हैदर्द ना बताओ तो हमे कायर कहते

हैऔर दर्द बताओ तो हमे शायर कहते है .......

एक मुलाक़ात करो हमसे इनायत समझकर,

हर चीज़ का हिसाब देंगे क़यामत समझकर,

मेरी दोस्ती पे कभी शक ना करना,

हम दोस्ती भी करते है इबादत समझकर........

ख़ामोशियों की वो धीमी सी आवाज़ है ,

तन्हाइयों मे वो एक गहरा राज़ है ,

मिलते नही है सबको ऐसे दोस्त ,

आप जो मिले हो हमे ख़ुद पे नाज़ है.......

No comments:

Post a Comment